खेल लहरों के
चलते -चलते रेत पर ,एक सुरीली सी आवाज आई ,
मुड़ के देखा ," रुको सखि ,रुक जाओ सखि ,"
कहते - कहते लहरें दौड़ीं आईं ,
प्यार भरी गुहार सुन ,रुक गए कदम मेरे भाई ||
" आओ ,आओ तुम ,खेलो साथ हमारे ,"
" तुम्हारे इंतजार में ,दिल हैं हमारे ,"
लहरों की बात सुन ,खेल शुरु हुआ ,
खेलों में डूबी मैं ,और समय बीतता गया ||
सागर भी चल कर आया ,मुस्काता ,मुस्काता ,
लहरों के खेलों में डूबा ,इठलाता ,इतराता ,
सभी तो उसके खेल देख कर ,
मन में खुश हो जाते ,
लाड़ -प्यार में डूबे -डूबे ,दिल भी खुश हो जाता ||
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