Saturday, March 2, 2024

KHEL LAHARON KE ( RATNAAKAR )

 

                       खेल लहरों के 


चलते -चलते रेत पर ,एक सुरीली सी आवाज आई ,

मुड़ के देखा ," रुको सखि  ,रुक जाओ सखि ,"

कहते - कहते लहरें दौड़ीं आईं ,

प्यार भरी गुहार सुन ,रुक गए कदम मेरे भाई || 


" आओ ,आओ तुम ,खेलो साथ हमारे ,"

" तुम्हारे इंतजार में ,दिल हैं हमारे ,"

लहरों की बात सुन ,खेल शुरु हुआ ,

खेलों में डूबी मैं ,और समय बीतता गया || 


सागर भी चल कर आया ,मुस्काता ,मुस्काता ,

लहरों के खेलों में डूबा ,इठलाता ,इतराता ,

सभी तो उसके खेल देख कर ,

मन में खुश हो जाते ,

लाड़ -प्यार में डूबे -डूबे ,दिल भी खुश हो जाता || 


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