उम्मीद और विश्वास
उम्मीद और आशा ,एक ही सिक्के के दो पहलू ,
विश्वास और भरोसा ,एक ही भाव के दो नाम ,
जान लो बंधु ,इन्हीं से जीवन मजबूत होगा ,
इन्हीं भावों से तो ,रिश्ते मजबूत होंगे ||
रेशम की डोर भी ,बहुत मजबूत हो जाती है ,
जब कि रेशम का धागा ,बहुत कमजोर होता है ,
मगर बहुत से धागे मिलकर ,मजबूत डोर बनाते हैं ,
वैसे ही उम्मीद और विश्वास के ,
नाजुक भावों से रिश्ते मजबूत बनते हैं ||
जगा लो बंधु ,अपने इन्हीं भावों को ,
बना लो बंधु ,मजबूत अपने रिश्तों को ,
समेट लो अपनी खुशियों को ,जाने ना दो ,
दूर अपने ,अपनों को ,तभी तो प्यार ,
शांति और सुखों को ,अपने जीवन में उतार पाओगे ||
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