डटे रहो
चल रहे थे हम ,एक राह में ,
राह पूरी समतल नहीं थी ,
कुछ - कुछ ऊबड़ - खाबड़ थी ,
लगी एक ठोकर ,लड़खड़ा गए हम ,
मगर संभल गए ,डटकर खड़े रहे ||
हम समझ गए ,कि ये ठोकर ,
हमें गिराने के लिए ,नहीं लगी थी ,
राहें चाहतीं थीं ,हम संभलना सीख जाएँ ,
राहों पर ध्यान से चलें ,
लड़खड़ाने पर ,धीरे से संभल जाएँ ||
तो दोस्तों ,ठोकर हमें गिराए ,जरूरी नहीं ,
वह तो कुछ सिखाती है ,कुछ पढ़ाती है ,
वह सिखाती है ,ठोकर के बाद संभलना ,
अपनी हिम्मत और ताकत के साथ ,
डटे रहना ,खड़े रहना ||
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