Tuesday, August 27, 2024

KORE HII ( KSHANIKAA )

 

                         कोरे ही 


जीवन की हजारों उलझनें हैं दोस्तों ,

व्यस्त हैं हम तो ,दूसरों के दिलों को रखने में ,

उनकी इच्छाएँ पूरी करने में || 


पहले नंबर पर ,अपने बड़े - बुजुर्गों की ,

इच्छाएँ पूरी करके ,उनका दिल रखा ,

दादा -दादी ,नाना -नानी ,माता -पिता ,

सबके दिल रखे हमने || 


अब थे संगी -साथी अपने ,

भाई -बहिन ,पति उनका परिवार ,प्यार में डूबकर ,

दिल रखते रहे ,हम तो सबका ही || 


अब हैं अपने बच्चे , फिर आगे बच्चों के बच्चे ,

मोह ,ममता में डूबे ,हम रखते रहे ,

उन सबका दिल ,रखते -रखते हम भूल गए ,

कि एक दिल हमारा भी है ,जिसमें ,

अनगिनत इच्छाएँ हैं ,चाहतें  हैं ,

उन में से क्या ,एक भी इच्छा या चाहत ,

पूरी कर पाए हम दोस्तों ? 

नहीं दोस्तों हम तो ,कोरे ही रह गए दोस्तों ,

कोरे ही रह गए दोस्तों || 


No comments:

Post a Comment