कोरे ही
जीवन की हजारों उलझनें हैं दोस्तों ,
व्यस्त हैं हम तो ,दूसरों के दिलों को रखने में ,
उनकी इच्छाएँ पूरी करने में ||
पहले नंबर पर ,अपने बड़े - बुजुर्गों की ,
इच्छाएँ पूरी करके ,उनका दिल रखा ,
दादा -दादी ,नाना -नानी ,माता -पिता ,
सबके दिल रखे हमने ||
अब थे संगी -साथी अपने ,
भाई -बहिन ,पति उनका परिवार ,प्यार में डूबकर ,
दिल रखते रहे ,हम तो सबका ही ||
अब हैं अपने बच्चे , फिर आगे बच्चों के बच्चे ,
मोह ,ममता में डूबे ,हम रखते रहे ,
उन सबका दिल ,रखते -रखते हम भूल गए ,
कि एक दिल हमारा भी है ,जिसमें ,
अनगिनत इच्छाएँ हैं ,चाहतें हैं ,
उन में से क्या ,एक भी इच्छा या चाहत ,
पूरी कर पाए हम दोस्तों ?
नहीं दोस्तों हम तो ,कोरे ही रह गए दोस्तों ,
कोरे ही रह गए दोस्तों ||
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