स्वीकार करो
बदलाव है ,जीवन का नियम ,
पल - पल ,कुछ ना कुछ बदलता है ,
प्रकृति में बदलाव तो आपने भी ,देखा ही होगा दोस्तों ||
बीज से पेड़ का बनना ,सभी जानते हैं ,
पानी का ऊपर से नीचे को बहना ,सभी जानते हैं ,
परिंदों का कलरव ,उनकी उड़ानें ,सभी जानते हैं ,
पशुओं के मीठे - मीठे स्वर ,सभी जानते हैं ||
कलियाँ चटख कर फूल बनतीं ,सभी जानते हैं ,
चमन में खुश्बुएँ महकतीं ,सभी जानते हैं ,
मानव स्वभाव भी बदलता ,सभी जानते हैं ,
उसी के बदलते भावों को ,स्वीकार करो दोस्तों ||
मत सोचो ,दूसरे क्यों बदलते ?
उनका स्वभाव ही ऐसा है दोस्तों ,
ये याद रखो ,वह क्या सिखा गया तुम्हें ?
कुछ तो तुम भी ,सीख ही गए दोस्तों ,
सच कहा ना मैंने ? स्वीकार करो ना दोस्तों ,
स्वीकार करो ,स्वीकार करो ||
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