ख्वाहिशें
दिन और रात ,बारी - बारी आते जाते हैं ,
दिन में काम और ,रात में नींद ,
यही दस्तूर है जीवन का ||
रात की नींद में ,ख्वाब आते हैं ,
मानो दबी ख्वाहिशों के ,ख्यालात ही हैं ,
जो ख़्वाबों के ,चित्रपट को सजाते हैं ||
कुछ पूरे हो जाते हैं ,आसानी से ,
कुछ के लिए ,मेहनत के दरीचे ,
खोले और सजाए जाते हैं ||
तो दोस्तों !खोलो और सजा लो ,
अपने मेहनत के दरीचों को ,
और पूरे कर लो अपनी ,
दबी हुई ख्वाहिशों के ख्यालातों को ||
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