Wednesday, August 14, 2024

KHWAAHISHEN ( KSHANIKAA )

 

                             ख्वाहिशें 


दिन और रात ,बारी - बारी आते जाते हैं ,

दिन में काम और ,रात में नींद ,

यही दस्तूर है जीवन का || 


रात की नींद में ,ख्वाब आते हैं ,

मानो दबी ख्वाहिशों के ,ख्यालात ही हैं ,

जो ख़्वाबों के ,चित्रपट को सजाते हैं || 


कुछ पूरे हो जाते हैं ,आसानी से ,

कुछ के लिए ,मेहनत के दरीचे ,

खोले और सजाए जाते हैं || 


तो दोस्तों !खोलो और सजा लो ,

अपने मेहनत के दरीचों को ,

और पूरे कर लो अपनी ,

दबी हुई ख्वाहिशों के ख्यालातों को || 


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