जल - पवन
रंग नहीं बरखा के जल में ,रंग नहीं है पवन में ,
मगर दोनों ही भावनाओं को ,रंगों से भर देते हैं ,
होठों की मुस्कानों को ,मीठे बोलों से भर देते हैं ||
दोनों ही शीतल पेय जैसे ,दोनों ही दिल को बहलाएँ ,
बिना रंग ही दोनों बंधु ,दुनिया को रंग जाएँ ,
सब की जिंदगी , इस दुनिया में ,प्यार से भर देते देते हैं ||
जल भर जाए नदिया में ,पवन बदरा उड़ाय ,
नदिया की राहें हैं धरा पर ,पवन गगन में उड़े ,
नदिया और पवन मिलकर ,जग को जीवन देते हैं ||
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