Thursday, October 31, 2024

BAALIKAA VADHU ( STORY )

 

                         बालिका वधु 


जैसे - तैसे समय आगे बढ़ा ,  

छोटी बच्ची भी बड़ी होने लगी ,

मगर माँ का क्या ? वह तो ,

थकी -हारी और टूटी - टूटी थी || 


बीमार रहने लगी ,उदासी में डूबी -डूबी ,

हँसी खो गई थी ,सेहत उखड़ गई थी ,

मगर फिर भी ,जिम्मेदारियों की गली ,

लंबी हो गई थी ,कठिन हो गई थी || 


पति खुद में ही मस्त था ,

परिवार वाले भी ,खुद में ही मस्त थे ,

परेशानी में डूबी थी बस ,बस वही ,

जो थकावट और बीमारियों से त्रस्त थी || 


क्या करे ? क्या ना करे ? 

कुछ नहीं समझ पा रही थी वो ,

जीवन की परेशानियों से बिल्कुल भी ,

नहीं लड़ पा रही थी वो || 


BAALIKAA VADHU ( STORY )

 

               बालिका वधु  


पति से हुई थोड़ी दोस्ती ,सासु माँ अच्छी लगने लगीं ,

चलते - चलते सभी कुछ लगने लगा ,अपना -अपना ,जाना -पहचाना || 


मगर जिम्मेदारियाँ बहुत मिलीं ,प्यार मिला थोड़ा -थोड़ा ,

जिसने बालिका वधु को ,नहीं पूरी तरह ससुराल से जोड़ा || 


समय बीतते -बीतते ,बालिका वधु ,बन गई माँ ,

एक छोटी बच्ची ,बनी एक गुड़िया की माँ ,

शरीर भी थका ,और जिम्मेदारियाँ भी बढ़ीं || 


आराम की जरूरत थी ,मगर समय नहीं था ,

जिम्मेदारियों का बोझ ,बहुत बड़ा था ,

कैसे पालन -पोषण करे ,छोटी बच्ची का ,

थका शरीर ,टूटा मन ,सभी सामने खड़ा था || 


Wednesday, October 30, 2024

BAALIKAA VADHU ( STORY )

 

                           बालिका वधु 


समय बीतने लगा धीरे - धीरे से ,

लड़की दस- बारह बरस की हुई ,

तो माता - पिता की सोच में उपजी ,

एक नई बात , और बेटी बनी बालिका वधु || 


नन्हीं कली ,बालिका वधु बन कर आई ससुराल ,

अपने घर से दूर ,नये घर में ,

उस घर में सभी अनजाने थे ,

और घर भी था बिल्कुल अनजाना || 


रात में नींद का भी ,डेरा उखड़ गया ,

अश्रुओं से उसका तकिया भीग गया ,

रोज ही यह नियम बन गया ,

नींद ना आना ,तकिये  का भीग जाना || 


धीरे - धीरे समय बीता ,

घर में रमने लगी ,बालिका वधु ,

धीरे - धीरे और थोड़ा -थोड़ा ,

घर लगने लगा ,जाना पहचाना || 


Tuesday, October 29, 2024

BAALIKAA VADHU ( STORY )

 

                     बालिका वधु 


आज से पचास - साठ साल ,पहले का जमाना ,

बंधुओं था बहुत पुराना ,

लड़कियों और औरतों का ,

बहुत कम था ,घर से बाहर जाना || 


घर के अंदर का काम ही ,

करतीं थीं ,ता - उम्र वो ,

बाहर की दुनिया से तो ,

उनका दिल था अनजाना || 


लड़की के जन्म के बाद ,

उसके खेल -खिलौने ,उसकी गुड़िया ,

ये ही उसके साथी थे ,

इन्हीं में उनका दिल था मस्ताना || 


रसोई घर बन गया था ,उनका विद्यालय ,

माँ ही थीं उनकी अध्यापिका ,

काम रह गया था उनका ,

सफाई ,बर्तन और खाना बनाना || 


Monday, October 28, 2024

MAHFIL DOSTII KII ( KSHANIKAA )

 

                    महफ़िल दोस्ती की 


राह चलने की परेशानियाँ ,

नहीं झेलीं ,जो किसी ने ,

मंजिल पाने की ख़ुशी ,क्या मनाएगा वो ? 

दर्द नहीं मिला,जिसे जिंदगी में ,

दर्द से राहत मिलने का ,सुकून क्या पाएगा वो ?? 


किसी की जरूरत में ,मदद नहीं की किसी ने ,

तो क्या जरूरत पर ,कोई हाथ थाम पाएगा वो ?

किसी को कोई ,ख़ुशी गर ना दी किसी ने ,

तो अपने होठों पर ,मुस्कान क्या पाएगा वो ?? 


दोस्त नहीं बन पाया ,जो किसी का ,

दोस्ती नहीं निभाई ,जो किसी ने ,

तो दोस्ती की ,महफ़िल कैसे जमाएगा वो ?

दोस्तों के साथ ,कैसे खिलखिलाएगा वो ?? 


Saturday, October 26, 2024

GALAT YAA SAHII ( KSHANIKAA )

 

                        गलत  या सही 


चलते - चलते टकराए हम किसी से ,

कुछ समय बाद भी ,हम उसे समझ ना पाए ,

जब समझे तो लगा ,वह गलत था ,

गलत से मिलने पर पता लगा ,सही की कीमत का || 


किसी भी गलती के बाद ही तो ,

समझ में आता है ,सही कैसे होगा ? 

तो दोस्तों ,गलतियाँ करके भी अगर ,

सही - गलत समझ में , आ जाएँ तो ,

यह गलती का ,अहसान है हम पर ,

सही रास्ता दिखाने के लिए || 


अब हम गलत और सही को चुन सकेंगे ,

दोनों में फर्क कर सकेंगे ,

अब सही को चुन सकेंगे ,

अब सही को अपना सकेंगे || 


Friday, October 25, 2024

AHANKAAR ( JIVAN )

 

                         अहंकार 


जिंदगी में ईश्वर ,सबको कुछ ना कुछ देते हैं ,

किसी  कम मिलता है ,किसी को अधिक ,

सभी अपनी सोच के ,अनुसार खर्च करते हैं || 


जिस को बिना कुछ ,मेहनत किए ही ,

सब कुछ बड़ी मात्रा में ,मिल जाता है ,

दोस्तों उसमें ,अहंकार आ जाता है || 


इसी अहंकार के कारण ,वह खुद को ,

ऊँचा और ,दूसरों को तुच्छ समझता है ,

वह अहंकार में डूबा ,शिखर पर बैठकर ,

राजा की भाँति ,व्यवहार करने लगता है || 


मगर यही व्यवहार ,उसे अकेलापन भी देता है ,

उसका कोई दोस्त नहीं होता ,

कोई उसे प्यार नहीं करता ,

काश वह यह सब समझ जाता तो ,

उसका जीवन भी सुखमय होता ,सुंदर होता || 


Thursday, October 24, 2024

PUNYA ( AADHYAATMIK )

 

                           पुण्य  


यात्रा कदम - दर - कदम ,चलती है दोस्तों ,

हर राह - हर कदम , दौड़ती है दोस्तों ,

हर कदम ,भी तो ,निशां छोड़ता है दोस्तों || 


उन निशानों की सिर्फ ,कहानी रह जाती है ,

वो निशां कहते रहते हैं ,एक कहानी ,

सभी आने - जाने ,वालों से दोस्तों || 


जिंदा होते हुए ,स्वर्ग के सपने मत देखो ,

पाप क्या है ? पुण्य क्या है ? सोचो जरा दोस्तों ,

किसी का दिल ना दुःखे ,तुम्हारे कारण ,

होठों पर मुस्कान आए ,तुम्हारे कारण ,

यही सबसे बड़ा ,पुण्य है दोस्तों || 


Wednesday, October 23, 2024

KARM KII REKHAA ( KSHANIKAA )

 

                       कर्म की रेखा 


मिलती हुई खुशियों को ,मुट्ठी में जकड़ लो दोस्तों ,

सारी मुस्कानों को होठों में ,पकड़ लो दोस्तों ,

जीवन बहुत लंबा नहीं होता ,जितना भी हो काफी है ,

सिर्फ कर्म की रेखा को ,लंबी कर लो दोस्तों || 


मुट्ठी में जकड़ी खुशियों को ,धीरे -धीरे फिसला कर ,

थोड़ी -थोड़ी सी ख़ुशी ,सबकी मुट्ठी में जकड़ा दो दोस्तों ,

होठों में पकड़ी मुस्कानों को ,दूजों के चेहरों पर ,

फूलों की तरह मुस्कानें ,महका दो दोस्तों || 


जीवन में गर तुम ,काम ये कर जाओगे ,

अपनी मुस्कानों को ,जो सब में बाँट जाओगे ,

तो अपने साथ - साथ सब की ,

झोली खुशियों से भर जाओगे ,

तो कर दो ना जल्दी से ,ये काम ,ये काम दोस्तों || 


Tuesday, October 22, 2024

UMMEED BADII SII ( KSHANIKAA )

 

                          उम्मीद बड़ी सी 


चाह में मंजिल की , उम्मीदों से ,

बँधा एक परिंदा हूँ मैं दोस्तों ,

राह में कितनी भी मुश्किलें आएँ ,

उम्मीदों को दिल में लिए एक परिंदा  || 


मेरी उड़ान की डोर का नाम है उम्मीद ,

मेरी जिद की उड़ान है उम्मीद ,

जिंदगी है उम्मीदों का दूसरा नाम ,

और जिंदगी का दूसरा नाम है उम्मीद || 


उम्मीद के घोड़े पर सवार होकर ,

आशाओं की लगाम पकड़े ,

बढ़ते रहे हम मंजिल की ओर ,

मंजिल का दूसरा नाम ही तो है उम्मीद || 


मंजिल के मिलते ही ,सब रुक गए ,

मगर यह तो गलत है दोस्तों ,

मंजिलों को पार करके आगे बढ़ना ,

ही तो बड़ी सी उम्मीद है ना दोस्तों ||

Monday, October 21, 2024

NEELKANTH ( AADHYAATMIK )

 

                             नीलकंठ 


जय -जय ,जय -जय ,हे शिव शंकर ,

ये प्याला तेरे नाम का पिया ,

उतर आओ कैलाश से तुम ,

ये माँगे सभी का जिया || 

 

सभी जन हैं माँगते ,तुम्हारा ही आशीष ,

तुम्हारे ही संग -संग सबने ,

गौरा का भी नाम लिया || 


सब ही तुम्हारा नाम पुकारें ,

भक्ति -रस में डूब ही जाएँ ,

हर ओर शंकर तुम्हारे ही तो ,

नाम का घंटा बजा || 


दुनिया में जितना विष फैला ,

तुमने ही  विषपान किया ,

तभी तो जग वालों ने तुमको ,

नीलकंठ है नाम दिया ||




Sunday, October 20, 2024

SAHEE SAMAY ( KSHANIKAA )

 

                                  सही समय 


जीवन को हँस के जी लें ,वह संवर जाएगा ,

किसी को मुस्कान दे दें ,वह निखर जाएगा ,

अपनों को प्यार कर लें ,वह मुखर जाएगा || 


जिंदगी को सरल नहीं ,मजबूत बना लो ,

सही समय कभी नहीं ,आता है दोस्तों ,

समय को ही सही ,बनाना पड़ता है दोस्तों || 


समय रुकता ,कभी नहीं है दोस्तों ,

चलता ही नहीं ,दौड़ता चला जाता है दोस्तों ,

अच्छा हो या बुरा समय ,कभी रुकता नहीं है दोस्तों ,

क्या कहा कैसे ?अच्छे कर्म से ,अच्छे व्यवहार से || 


Saturday, October 19, 2024

WAJAH ( KSHANIKAA )

       

                           वजह 


कुछ भी बेवजह नहीं होता ,

हर सुबह आते ही बताती है ,

कि तुम्हारे जीवन का लक्ष्य ,

अभी पूरा नहीं हुआ है ,

उस लक्ष्य प्राप्ति केलिए ,

अभी  तुम्हें बहुत प्रयास करना है ,

प्रयासों से ही तो सफलता ,प्राप्त होती है दोस्तों || 


हर प्राप्ति ,हर प्रयास से हमें ,

कुछ ना कुछ जरूर मिलता है ,

कभी हमें सफलता मिलती है ,

कभी कुछ सीख ,हमारे ज्ञान को बढ़ाती है || 


मतलब यह कि हमारी झोली में ,

कुछ ना कुछ आता ही है ,

तो दोस्तों असफल होने पर भी ,

कभी दुःख ना मनाना ,

हमेशा अपनी मुस्कानों को ,बरकरार रखना ||


Sunday, October 13, 2024

DAL DAL ( KSHANIKAA )

 

                             दलदल 


बरखा बरसी ,जल - थल हुआ संसार ,

चमक दामिनी ले कर आई ,साथ में गर्जनार ,

उस जल से भरे ,ताल - तलैया ,

नदिया की मोटी हो गई धार ||  


 कल - कल करती दौड़ी नदिया ,

साथ की माटी बनी उपजाऊ ,

हरे -भरे हैं खेत हरियाए ,

अन्नदाता के भर गए भंडार || 


नदिया रही दौड़ती -दौड़ती ,

साथ लिए माटी का भंडार ,

पर मानव ने दिया नदी को ,

सारी गंदगी का भंडार || 


जब हो गया पानी गंदा ,

नदिया हो गई जल - विहीन ,

धीरे - धीरे सूखी नदिया ,

माटी की दलदल के साथ || 





Thursday, October 10, 2024

KYAA ? ( SAMAJIK )

 

                          क्या  ?


जिंदगी हमारी डूब जाती है ,जब झूठके समंदर में ,

हम परेशान हो उठते हैं दोस्तों ,

जिंदगी जब सच की नाव पर ,सवार होती है ,

सब परेशान हो उठते हैं क्यों ? 

अब बताओ तुम्हीं ,हम क्या करें दोस्तों ? 


अहंकार तो दोस्तों ,अहंकारी पर ही भारी होता है ,

इसलिए अहंकार को छोड़ ,नम्रता को अपनाओ ,

मगर किसी को अहंकार हो ,तो वह क्या करे दोस्तों ? 


नम्रता अपनाने के बाद भी ,ग़लतफ़हमी अगर सताए ,

तो वह तो सच को पास में ,फटकने भी नहीं देती ,

गलतफहमी होने पर ,हम क्या अपनाएँ दोस्तों ? 


दूसरों के बारे में ,कभी कोई अनुमान ना लगाओ तुम ,

क्या उसकी उलझनों की ,जानकारी है तुम्हारे पास ? 

तो क्यों अपने दिमाग को ,उलझनोंमें लपेटो दोस्तों ? 


Monday, October 7, 2024

REET GAYAA ( JIVAN )

 

                         रीत गया 


जो बीत गया ,वो रीत गया ,जो है शेष ,वही विशेष ,

भूत काल में किए कर्मों को ,हम बदल नहीं सकते ,

दोस्तों ,मगर आने वाले कल ,यानि भविष्य  में ,

हम वही कर सकते हैं ,जो हम करना चाहते थे ,

दोस्तों ,इसलिए जो है शेष ,वही विशेष || 


मुस्कानें बाँटना ,खुद को भी मुस्काता है ,

खुशियाँ बाँटना ,खुद को भी खुश करता है ,

इसलिए लाओ ,अपने होठों पर मुस्कान ,

और भर दो ,दूसरों की भी खान || 


रंगों से भर दो ,अपने बनाए चित्रों को ,

चित्र बोल उठेंगे ,और आप भी मुस्कुरा उठोगे ,

तो दोस्तों यही  है ,मुस्कानें बाँटने का तरीका ,

दूसरों को खुश करने का तरीका ,

खुद भी खुश होने का तरीका || 


Sunday, October 6, 2024

SUNDARTAA ( CHANDRAMAA )

 

                                 सुंदरता 


तुम पुकार लो ,जीवन संवार लो ,

अपना प्यार हमें दो ,हमारा प्यार लो ,

जीवन की बगिया को ,फूलों से महका लो ,

सुंदरता दुनिया की ,दिल में बसा लो || 


इंद्रधनुष के रंगों को ,आँखों में बसा लो ,

दामिनी की चमक से ,आँखों को चमका  लो ,

दामिनी की गर्जन से ,धड़कनें बढ़ा लो ,

सुंदरता दुनिया की ,दिल  बसा लो  || 


चंदा की चाँदनी से ,जीवन चमका लो ,

चाँदी जैसे रंग में ,आँचल रंग डालो ,

चंदा की मुस्कान को ,होठों में उतार लो ,

सुंदरतादुनिया की ,दिल में बसा लो ||  


Friday, October 4, 2024

SAATH BADARAA KAA ( JALAD AA )

 

                          साथ बदरा का 


मेरे प्यारे बदरा दोस्त ,पवन संग उड़ता चल ,

हर जगह ,हर राह पर ,पानी प्यार का बरसाता चल || 


तेरे शीतल जल से ,तपन दूर हो धरती की ,

धरती प्यार भरी वाणी में ,स्वागत उसका करती सी || 


हरी - भरी धरती चहकी ,बदरा ने खूब बरसाया जल ,

धरती ने ही इस मौसम में ,खूब - खूब पाया जल || 


जन -जीवन फूलेगा - फलेगा ,पाएगा शीतल जल ,

बदरा को देगा धन्यवाद ,देने पर शीतल जल || 


बदरा भी पवन संग झूमेगा ,पाकर उसका साथ ,

पवन भी बह चलेगी ,पाकर बदरा का साथ || 


Thursday, October 3, 2024

KARO BHALAAI ( KSHANIKAA )

 

                           करो  भलाई


मीठा - मीठा बोल के ,मन सबका ललचाय ,

मगर नियत खराब हो ,तो बुरा वो कर -कर जाय ,

बुरा वो कर जाय ,तो उससे दूर रहो ,

उसी के कारण तुम किसी ,मुश्किल में ही फँस जायँ  ||


कड़वा बोले जो कोई ,बुरा वो लगता जाय ,

मगर नियत का साफ हो ,अच्छा वो कर जाय ,

अच्छा वो कर जाय ,उसे संग ही राखो ,

उसी के कारण तुम सभी ,मुश्किल से वापस आय || 


करते रहो भलाई तुम ,जो तुमसे हो पाय ,

उस भलाई से ही , मदद काहू की हो जाय ,

मदद काहू की हो जाय ,तुम्हारा भी अच्छा हो ,

उस जरूरत मंद की ,दुआ तो तुम ही पायँ  || 


दो मुस्कान किसी को ,मन उसका खिल जाय ,

दोगे जो मुस्कान जो ,तेरा मन भी खिल जाय ,

तेरा मन खिल जाय ,तो खुशियाँ मिलेंगी सबको ,

ऐसे में तो जग में ,सबकी खुशियाँ खिल जायँ ||

Wednesday, October 2, 2024

LIKHVAAOON ( RATNAAKAR )

 

                        लिखवाऊँ 


आ सागर मेरी बाँहों में आ ,

तुझको गले लगाऊँ मैं ,

साथ तेरे मुस्काऊँ मैं || 


रहेंगे हम साथ - साथ हमेशा ,

एक ही छत के नीचे ,

तू है मेरा ,मैं हूँ तेरी ,

दुनिया को समझाऊँ मैं || 


कोरा कागज मेरा मन था ,

कोरा कागज तेरा मन था ,

उन दोनों पे एक दूजे का ,

नाम जरूर लिखवाऊँ मैं || 


चंचल लहरें हँसते - हँसते ,

हम को हैं बुलातीं ,

उनके पास भी फिर से ,

अपना पता लिखवाऊँ मैं || 


Tuesday, October 1, 2024

MAHAKTII MAATII ( DESH )

 

                         महकती माटी 


फूलों की महक से ,दुनिया महक जाती है ,

उन्हीं फूलों के इत्र से , दुनिया महक जाती है ,

मगर दोस्तों क्या आपने ? 

वर्षा की पहली बूँदों से आती ,

मिट्टी की सौंधी महक ,महसूस की है कभी ??

 

इससे सुंदर और प्यारी महक ,महसूस की क्या आपने ?

इतनी महकीली महक ,इतनी रंगीली महक ,

किसी और की नहीं है दोस्तों || 

 

हमारी माटी की महक ,हमारी वर्षा की महक ,

यही महक तो हमारा जीवन है ,कोई भी इत्र ,

कोई भी फूल ,उसकी बराबरी नहीं कर सकता ,

तभी तो माटी की महक के लिए ,किसी ने ,

बहुत सुंदर लिखा है ,-- " चंदन है माटी मेरे देश की "||