कर्म की रेखा
मिलती हुई खुशियों को ,मुट्ठी में जकड़ लो दोस्तों ,
सारी मुस्कानों को होठों में ,पकड़ लो दोस्तों ,
जीवन बहुत लंबा नहीं होता ,जितना भी हो काफी है ,
सिर्फ कर्म की रेखा को ,लंबी कर लो दोस्तों ||
मुट्ठी में जकड़ी खुशियों को ,धीरे -धीरे फिसला कर ,
थोड़ी -थोड़ी सी ख़ुशी ,सबकी मुट्ठी में जकड़ा दो दोस्तों ,
होठों में पकड़ी मुस्कानों को ,दूजों के चेहरों पर ,
फूलों की तरह मुस्कानें ,महका दो दोस्तों ||
जीवन में गर तुम ,काम ये कर जाओगे ,
अपनी मुस्कानों को ,जो सब में बाँट जाओगे ,
तो अपने साथ - साथ सब की ,
झोली खुशियों से भर जाओगे ,
तो कर दो ना जल्दी से ,ये काम ,ये काम दोस्तों ||
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