Wednesday, October 23, 2024

KARM KII REKHAA ( KSHANIKAA )

 

                       कर्म की रेखा 


मिलती हुई खुशियों को ,मुट्ठी में जकड़ लो दोस्तों ,

सारी मुस्कानों को होठों में ,पकड़ लो दोस्तों ,

जीवन बहुत लंबा नहीं होता ,जितना भी हो काफी है ,

सिर्फ कर्म की रेखा को ,लंबी कर लो दोस्तों || 


मुट्ठी में जकड़ी खुशियों को ,धीरे -धीरे फिसला कर ,

थोड़ी -थोड़ी सी ख़ुशी ,सबकी मुट्ठी में जकड़ा दो दोस्तों ,

होठों में पकड़ी मुस्कानों को ,दूजों के चेहरों पर ,

फूलों की तरह मुस्कानें ,महका दो दोस्तों || 


जीवन में गर तुम ,काम ये कर जाओगे ,

अपनी मुस्कानों को ,जो सब में बाँट जाओगे ,

तो अपने साथ - साथ सब की ,

झोली खुशियों से भर जाओगे ,

तो कर दो ना जल्दी से ,ये काम ,ये काम दोस्तों || 


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