बालिका वधु
समय बीतने लगा धीरे - धीरे से ,
लड़की दस- बारह बरस की हुई ,
तो माता - पिता की सोच में उपजी ,
एक नई बात , और बेटी बनी बालिका वधु ||
नन्हीं कली ,बालिका वधु बन कर आई ससुराल ,
अपने घर से दूर ,नये घर में ,
उस घर में सभी अनजाने थे ,
और घर भी था बिल्कुल अनजाना ||
रात में नींद का भी ,डेरा उखड़ गया ,
अश्रुओं से उसका तकिया भीग गया ,
रोज ही यह नियम बन गया ,
नींद ना आना ,तकिये का भीग जाना ||
धीरे - धीरे समय बीता ,
घर में रमने लगी ,बालिका वधु ,
धीरे - धीरे और थोड़ा -थोड़ा ,
घर लगने लगा ,जाना पहचाना ||
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