Wednesday, October 30, 2024

BAALIKAA VADHU ( STORY )

 

                           बालिका वधु 


समय बीतने लगा धीरे - धीरे से ,

लड़की दस- बारह बरस की हुई ,

तो माता - पिता की सोच में उपजी ,

एक नई बात , और बेटी बनी बालिका वधु || 


नन्हीं कली ,बालिका वधु बन कर आई ससुराल ,

अपने घर से दूर ,नये घर में ,

उस घर में सभी अनजाने थे ,

और घर भी था बिल्कुल अनजाना || 


रात में नींद का भी ,डेरा उखड़ गया ,

अश्रुओं से उसका तकिया भीग गया ,

रोज ही यह नियम बन गया ,

नींद ना आना ,तकिये  का भीग जाना || 


धीरे - धीरे समय बीता ,

घर में रमने लगी ,बालिका वधु ,

धीरे - धीरे और थोड़ा -थोड़ा ,

घर लगने लगा ,जाना पहचाना || 


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