Wednesday, October 2, 2024

LIKHVAAOON ( RATNAAKAR )

 

                        लिखवाऊँ 


आ सागर मेरी बाँहों में आ ,

तुझको गले लगाऊँ मैं ,

साथ तेरे मुस्काऊँ मैं || 


रहेंगे हम साथ - साथ हमेशा ,

एक ही छत के नीचे ,

तू है मेरा ,मैं हूँ तेरी ,

दुनिया को समझाऊँ मैं || 


कोरा कागज मेरा मन था ,

कोरा कागज तेरा मन था ,

उन दोनों पे एक दूजे का ,

नाम जरूर लिखवाऊँ मैं || 


चंचल लहरें हँसते - हँसते ,

हम को हैं बुलातीं ,

उनके पास भी फिर से ,

अपना पता लिखवाऊँ मैं || 


No comments:

Post a Comment