बालिका वधु
पति से हुई थोड़ी दोस्ती ,सासु माँ अच्छी लगने लगीं ,
चलते - चलते सभी कुछ लगने लगा ,अपना -अपना ,जाना -पहचाना ||
मगर जिम्मेदारियाँ बहुत मिलीं ,प्यार मिला थोड़ा -थोड़ा ,
जिसने बालिका वधु को ,नहीं पूरी तरह ससुराल से जोड़ा ||
समय बीतते -बीतते ,बालिका वधु ,बन गई माँ ,
एक छोटी बच्ची ,बनी एक गुड़िया की माँ ,
शरीर भी थका ,और जिम्मेदारियाँ भी बढ़ीं ||
आराम की जरूरत थी ,मगर समय नहीं था ,
जिम्मेदारियों का बोझ ,बहुत बड़ा था ,
कैसे पालन -पोषण करे ,छोटी बच्ची का ,
थका शरीर ,टूटा मन ,सभी सामने खड़ा था ||
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