बालिका वधु
आज से पचास - साठ साल ,पहले का जमाना ,
बंधुओं था बहुत पुराना ,
लड़कियों और औरतों का ,
बहुत कम था ,घर से बाहर जाना ||
घर के अंदर का काम ही ,
करतीं थीं ,ता - उम्र वो ,
बाहर की दुनिया से तो ,
उनका दिल था अनजाना ||
लड़की के जन्म के बाद ,
उसके खेल -खिलौने ,उसकी गुड़िया ,
ये ही उसके साथी थे ,
इन्हीं में उनका दिल था मस्ताना ||
रसोई घर बन गया था ,उनका विद्यालय ,
माँ ही थीं उनकी अध्यापिका ,
काम रह गया था उनका ,
सफाई ,बर्तन और खाना बनाना ||
No comments:
Post a Comment