पुण्य
यात्रा कदम - दर - कदम ,चलती है दोस्तों ,
हर राह - हर कदम , दौड़ती है दोस्तों ,
हर कदम ,भी तो ,निशां छोड़ता है दोस्तों ||
उन निशानों की सिर्फ ,कहानी रह जाती है ,
वो निशां कहते रहते हैं ,एक कहानी ,
सभी आने - जाने ,वालों से दोस्तों ||
जिंदा होते हुए ,स्वर्ग के सपने मत देखो ,
पाप क्या है ? पुण्य क्या है ? सोचो जरा दोस्तों ,
किसी का दिल ना दुःखे ,तुम्हारे कारण ,
होठों पर मुस्कान आए ,तुम्हारे कारण ,
यही सबसे बड़ा ,पुण्य है दोस्तों ||
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