नीलकंठ
जय -जय ,जय -जय ,हे शिव शंकर ,
ये प्याला तेरे नाम का पिया ,
उतर आओ कैलाश से तुम ,
ये माँगे सभी का जिया ||
सभी जन हैं माँगते ,तुम्हारा ही आशीष ,
तुम्हारे ही संग -संग सबने ,
गौरा का भी नाम लिया ||
सब ही तुम्हारा नाम पुकारें ,
भक्ति -रस में डूब ही जाएँ ,
हर ओर शंकर तुम्हारे ही तो ,
नाम का घंटा बजा ||
दुनिया में जितना विष फैला ,
तुमने ही विषपान किया ,
तभी तो जग वालों ने तुमको ,
नीलकंठ है नाम दिया ||
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