Sunday, October 13, 2024

DAL DAL ( KSHANIKAA )

 

                             दलदल 


बरखा बरसी ,जल - थल हुआ संसार ,

चमक दामिनी ले कर आई ,साथ में गर्जनार ,

उस जल से भरे ,ताल - तलैया ,

नदिया की मोटी हो गई धार ||  


 कल - कल करती दौड़ी नदिया ,

साथ की माटी बनी उपजाऊ ,

हरे -भरे हैं खेत हरियाए ,

अन्नदाता के भर गए भंडार || 


नदिया रही दौड़ती -दौड़ती ,

साथ लिए माटी का भंडार ,

पर मानव ने दिया नदी को ,

सारी गंदगी का भंडार || 


जब हो गया पानी गंदा ,

नदिया हो गई जल - विहीन ,

धीरे - धीरे सूखी नदिया ,

माटी की दलदल के साथ || 





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