बरसात
आज हो रही है बरसात घनी ,
कुछ जल की ,कुछ आँसुओं की झड़ी ,
पता नहीं बदरी अधिक रोई ,
या मैं रोई सखि घनी |
बदरी ने तो जल लिया ,
ताल -तलैया ,सागर ,नदिया सभी से ,
मेरी आँसुओं की झड़ी ,तो निकली दिल से ,
दर्द नहीं हुआ बदरी को ,
मगर दर्द ,मुझे तो हुआ बहुत सखि |
बदरी तो बरस कर ,पवन संग उड़ी ,
मैं तो अश्रु बहाकर ,गीले नयन पोंछ कर अपने ,
जस की तस ही रह गई सखि |
बरसात का जल तो धरा पी गई ,
मेरेआँसू तो पोंछे मेरे अँचरा ने ,
धरा पर तो हरियाली छा गई घनी ,
मेरे चेहरे पर तो उदासी ही छायी सखि |
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