Saturday, February 11, 2023

CHITTHI ( PREM )

 

 

                                चिट्ठी  


बचपन में यारों ,चिट्ठी ही लिखते थे हम ,

दोस्त हों या सखि ,सहेली ,उसीके द्वारा ,

संदेसा भेजते थे हम | 


टेलीफोन तो दफ्तरों और,बड़ी दुकानों पर ही होते थे ,

उन्हीं के मालिक फोन के द्वारा ,संपर्क किया करते थे | 


जब हमारी हुई मंगनी ,अब मंगेतर से बात कैसे हो ? 

सोचा बहुत ,मगर कुछ हल ना निकला ,

तब आई उधर से चिट्ठी ,अहसास नया जागा ,

चिट्ठी का जवाब देने का ,कुछ बातें लिखने -सुनने का | 


सिलसिला ये दोस्तों ,लंबा ही कुछ चला ,

कुछ समझने का ,तो कुछ समझाने का ,

चिट्ठी की अहमियत का ,तब पता हमें चला | 


उस समय  की वो चिट्ठियाँ ,संभालीं हैं आज तक ,

कभी -कभी उन्हीं को ,फिर से पढ़ लेते हैं ,

कुछ हसीन पल और ,मीठी यादें ताजा कर लेते हैं | 


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