जीत लो
अहंकार से अकड़े सिर के सम्मुख ,
शीश हैं झुकते ,मगर डर के कारण ,
ना ही कोई सम्मान वश ,ना ही कोई आदर वश ,
संस्कार से भरे मानव के सम्मुख ,
ना डर से ,ना अनादर से ,
शीश झुकते हैं आदर से |
चुन लो संस्कार को ,दुनिया जीती जा सकती है ,
उच्च संस्कारों और अच्छे व्यवहार से ,
जीत लो दुनिया को ,
और बना लो सभी को अपना ,
यही तो होना चाहिए सभी का सपना |
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