दो पहलू
सुख - दुःख दो पहलू सिक्के के ,एक आए एक जाए ,
मगर सभी को इस सिक्के का ,एक ही पहलू भाए |
जीवन में सब चाहें सुख को ,दुःख को कोई ना चाहे ,
सुख की चाशनी में डूबकर ,हर कोई रहना चाहे |
दुःख से सब ही भागें दूर ,पास ना आना चाहें ,
दुःख को समझ के कड़वा करेला ,कोई ना खाना चाहे |
कोई ना समझे दुःख का मोल ,
दुःख से जुड़ा है सुख का मोल ,
दुःख ना हो तो दोस्तों ,सुख कैसे लगता अनमोल ?
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