Monday, September 23, 2024

AANAND ( JIVAN )

 

                             आनंद 


हमारी धरा ,हमारी प्रकृति ,देती है हमें सब कुछ ,

कितने ही मौसम ,कितनी ही ऋतुएँ ,हैं आती -जाती ? 

हम आनंद लेते हैं ,हर मौसम का ,हर ऋतु का || 


हर मौसम शुरु होता है , तो बदल जाता है ,

हमारा खानपान ,हमारी वेशभूषा ,हमारा समय ,

और हम आनंद लेते हैं ,हर मौसम का ,हर ऋतु का || 


जो संसार में आता है ,वह वापिस जाता है दुनिया से ,

इसी तरह ,जो मौसम शुरु होता है ,

वह ख़त्म भी होता है ,यानि मौसम  का ,

अंत भी होता है ,और अपने पीछे आनंद छोड़ जाता है || 


अंत का भी अंत होता है ,

अनंत कुछ भी नहीं है ,यहाँ इस दुनिया में ,

देखो ना पूरे साल में ,पतझड़ भी आता है ,

समझो जरा ,पूरे साल बसंत नहीं होता ,

और हम आनंद लेते हैं ,हर मौसम का ,हर ऋतु का || 


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