रत्नाकर का जन्म दिन
जन्म दिन आया ,रत्नाकर का ,मैं पहुँची सागर बीच ( किनारा ),
लहरों का मेला देख कर ,मैं पहुँची उनके बीच ( बीच में ) ,
लहरों ने जब देखा मुझको ,हाथ पकड़ ले चलीं ,
आओ सखि ! चलते हैं हम -तुम , रत्नाकर के घर ||
हम सब जब अंदर पहुँचे ,शोर मचा था अंदर ,
चंचल लहरें नाच रहीं थीं ,डूबी मस्ती में अंदर ,
हम सब मिल गए उन्हीं में , डूब मस्ती में अंदर ||
रत्नाकर सज -धज कर आया ,लगता था बहुत ही सुंदर ,
हैप्पी बर्थडे टू यू की गूँज में ,उठ खड़ा हुआ बवंडर ,
फिर आया केक दोस्तों ,कटा गया मुस्कानों में ,
बाँटा गया मुस्कानों में ,खाया गया मुस्कानों में ||
उपहार सभी ने दिए ,रत्नाकर था खुश - खुश ,
सभी से करते हुए बतियाँ ,नहीं किसी को रहने देता चुप ,
पार्टी में सभी हो गए मस्त ,सभी हो गए मस्त ||
खाना -पीना ,डांस करना ,यही तो पार्टी थी ,
हम सब दोस्त खो गए ,लहरों की मस्ती में ,
चंचल लहरों को देख -देख ,हमारा मन भी चंचल था ,
और डांस के फर्श पर ,हम थिरकते गए ,हम थिरकते गए ||
No comments:
Post a Comment