Wednesday, September 25, 2024

INSAANIYAT ( KSHANIKAA )

 

                       इंसानियत  


जग में फैली फूलों की खुश्बु ,

मेरी साँसें महकीं ,तेरी साँसें महकीं ,

सारी दुनिया भरी महक से ,

मैं भी महकी ,तू भी महका ,

साथ - साथ ये जीवन महका || 


रंगों से दुनिया रंगीन हुई ,

मैं भी रंग गई ,तू भी रंग गया ,

सपने में इंद्रधनुष जो छाया ,

गगन भी पूरा रंग गया || 


ये रंग ,ये महक ,खुशियाँ देने वाले हैं ,

मगर इन सबसे बड़े हैं ,

इंसानियत के रंग ,इंसानियत की महक ,

इंसानियत और मानवता निभाते हुए ,

किसी की मदद करोगे ,या किसी के ,

होठों पर मुस्कानों के फूल खिलाओगे ,

तो उसके रंग और महक में ,

तुम भी रंग जाओगे ,तुम भी महक जाओगे ,

तो शुरु कर दो दोस्तों || 


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