संवारती
ख्वाहिशों का पिंजरा ,एक बार जिसे जकड़ता है ,
उसे अपने अंदर ही ,ताकत से पकड़ता है ,
उसकी पकड़ में फँसने पर ,कुछ ख्वाहिशें ,
टूट भी जाती हैं ,मगर फिर भी ,
नई ख्वाहिशें पनपती ही जाती हैं ||
हमारी ख्वाहिशें ,कुछ पूरी हुईं और ,
कुछ टूटीं ,मगर नई ख्वाहिशें जो जन्मीं ,
उन्हें पूरी करने के लिए दोस्तों ,
हमें उपाय तो करना ही होगा ,
कुछ परिश्रम तो करना ही होगा ||
दिल और दिमाग में ,पैदा हुई ख्वाहिशें ,
जैसे - जैसे पूरी होती हैं ,
खुशियों भरी मुस्कान खिलाती हैं ,
वही मुस्कान जीवन को सुंदर और ,
मनमोहक बना कर संवारती है ||
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