Saturday, September 21, 2024

SANVAARTI ( JIVAN )


                      संवारती 


ख्वाहिशों का पिंजरा ,एक बार जिसे जकड़ता है ,

उसे अपने अंदर ही ,ताकत से पकड़ता है ,

उसकी पकड़ में फँसने पर ,कुछ ख्वाहिशें ,

टूट भी जाती हैं ,मगर फिर भी ,

नई ख्वाहिशें पनपती ही जाती हैं || 


हमारी ख्वाहिशें ,कुछ पूरी हुईं और ,

कुछ टूटीं ,मगर नई ख्वाहिशें जो जन्मीं ,

उन्हें पूरी करने के लिए दोस्तों ,

हमें उपाय तो करना ही होगा ,

कुछ परिश्रम तो करना ही होगा || 


दिल और दिमाग में ,पैदा हुई ख्वाहिशें ,

जैसे - जैसे पूरी होती हैं  ,

खुशियों भरी मुस्कान खिलाती हैं ,

वही मुस्कान जीवन को सुंदर और ,

मनमोहक बना कर संवारती है || 


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