मधुरं
सत्यं ,शिवम् ,सुंदरं ,जीवन हुआ मधुरं ,
प्रकृति की गोद में छिपकर ,बंधु जीवन हुआ मधुरं ,
तभी तो जीवन में ,कठिनाई हुई मध्यम ||
रंगों का इंद्रधनुष खिला ,हमारे अँगना ,
तभी तो दुःख दूर भागे ,चले हमारे संग ना ,
मुस्कानें खिल गईं होठों पे ,उदासी हुई कम ,कम ||
सोच में सुंदरता का कमल खिल गया ,
फूलों का मानो ,बगीचा महक गया ,
ऐसे में ही तो ,महक में डूब गए हम ,हम ||
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