Monday, September 16, 2024

MADHURAM ( JIVAN )

 

                         मधुरं 


सत्यं ,शिवम् ,सुंदरं ,जीवन हुआ मधुरं ,

प्रकृति की गोद में छिपकर ,बंधु जीवन हुआ मधुरं ,

तभी तो जीवन में ,कठिनाई हुई मध्यम || 


रंगों का इंद्रधनुष खिला ,हमारे अँगना ,

तभी तो दुःख दूर भागे ,चले हमारे संग ना ,

मुस्कानें खिल गईं होठों पे ,उदासी हुई कम ,कम || 


सोच में सुंदरता का कमल खिल गया ,

फूलों का मानो ,बगीचा महक गया ,

ऐसे में ही तो ,महक में डूब गए हम ,हम || 


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