मैं तुम्हारी हूँ
मैं तुम्हारी हूँ ,हाँ ,मैं तुम्हारी हूँ ,
मगर क्या यह पूर्ण सत्य है ?
कि मैं सिर्फ तुम्हारी ही हूँ ?
सोचो तो जरा ,ईश्वर मेरा है ,मैं उसकी हूँ ,
यह प्रकृति मेरी है ,और मैं उसकी हूँ ,
सूरज ,चाँद ,तारे ,बदरा ,पवन दामिनी ,
गीत ,संगीत ,मेरी लेखनी ,मैं इनकी हूँ ||
मेरा परिवार ,मेरे दोस्त ,पड़ोसी ,
और यह समाज ,मैं सभी की हूँ ,
मेरा देश ,ये दुनिया ,मेरे कर्म ,मेरे कर्तव्य पथ ,
मैं इन सब की हूँ ,
तो तुम ही बताओ ,मैं कैसे कह दूँ ?
कि मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी हूँ ,
मगर भरोसा करो मेरा ,कि मैं तुम्हारी हूँ ||
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