Saturday, September 7, 2024

JOOTE KII AATMKATHA ( BAAL SAAHITYA )

 

                            जूते की आत्मकथा 

यह आत्मकथा मेरे नाती अंश अरोरा 

( कक्षा - 6 ) की लिखी हुई है | कृपया 

पढ़कर अपनी राय दें और अंश को 

आशीष दें || 


सभी लोग मुझे अपने पैरों में पहनते हैं | मैं 

कारखानों में बनाया जाता हूँ | मैं लोगों के 

पैरों की रक्षा करता हूँ | बताओ तो जरा --

-- मैं कौन हूँ ? 

आपने क्या जवाब दिया ? मैं एक जूता हूँ | 

" हाँ जी ! मैं एक जूता हूँ "| सही जवाब || 


मेरा जन्म एक कारखाने में हुआ था | मैं 

काले रंग के चमड़े से बना जूता हूँ | मेरे 

बहन - भाई अलग - अलग रंग और सामान 

से बने हैं | लाल ,पीला ,सफ़ेद आदि रंग और 

कपड़े ,प्लास्टिक ,धातु आदि से मेरे भाई -

बहन बने हैं | 

एक दिन एक आदमी ने मुझे दुकान दार 

से खरीदा | वह मुझे प्रतिदिन पहन कर

 ऑफिस जाता था | रोज मुझे पॉलिश करके 

चमकाता था | जिससे मैं अच्छा दिखाई दूँ | 

             एक दिन उस आदमी को ठोकर 

लग गई ,जिससे मुझे चोट लग गई ,और मैं 

फट गया | उस आदमी ने मुझे अलमारी में 

रख दिया | उसके बाद वह आदमी मुझे भूल 

गया | कुछ दिन बाद उसने मुझे देखा  और  

उसने मुझे   कूड़े दान में   डाल दिया || 

                मुझे बहुत दुःख हुआ | पर फिर 

भी मैंने अपना हौसला बटोरा | अब मैंने 

सोचा कि जल्दी ही मैं एक नया जूता बनकर 

किसी और की मदद करूँगा और उसके 

पैरों की रक्षा करूँगा || 

आप सबने मेरी आत्मकथा सुनी | आप सब 

का बहुत - बहुत धन्यवाद || 

 





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