नींद
दिन और रात का समय ,बनाया धरा ने ,
ये समय बनाया गया ,रवि के साथ मिलकर ,
धरा जब घूम जाती है ,अपनी धुरी पर ,
आधी धरा में ,दिन है निकलता ,
आधी पर रात होती है ||
दिन में मानव करता है ,अपनी दिनचर्या का काम ,
मगर रात को मानव ,करता है पूर्ण आराम ,
रात में नींद है आती ,जो मानव को है सुलाती ,
तभी तो मानव कर लेता ,विश्राम और विश्राम ||
नींद तो सुंदर ,सुंदर ,बहुत सुंदर सी है क्रिया ,
मानव को वह सुला देती ,पूर्ण विश्राम है कराती ,
सभी भावनाओं को ,दिन की थकावटों को ,
यह नींद ही भुला देती ,भुला देती ||
नहीं अहसास रहता है ,उस समय कोई ,
जब मानव है सोया ,गहरी नींद में वो खोया ,
अक्सर सपने तो आते हैं ,पूरी दुनिया घुमाते हैं ,
मानव के भावों को भुलाकर ,वह खिलखिलाते हैं ||
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