उजालों से
हर किसी के घर में ,तुम जो ,
बिजली ना दे सको , तो क्या ?
मिट्टी का दीया ही जला दो यारों ,
घर के अंधेरों को ,दूर कर दो यारों ||
दीया जलाने ,जब जाओगे तुम यारों ,
हाथ में दीये का उजाला ,
तुम्हें भी उजाला देगा ,उसी उजाले से ,
तुम्हारा भी तो ,चेहरा चमकेगा यारों ||
दूसरे के घर में ,दीया जलाना शुभ है ,
उनके घर उजाला फैला ,तो तुम्हारा भी तो ,
चेहरा चमक उठा है ,आँखें चमक उठीं हैं यारों ||
रुकना नहीं ,ऐसे ही चलते जाना यारों ,
जीवन सुंदर और सुन्दरतम बना लो यारों ,
सभी के जीवन को ,उजालों से भर दो यारों ||
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