गए काहे ( चंद्रमा )
प्रीतम की याद में तड़पे है मन ,
गए काहे को परदेस साजन ?
भूले हैं जीवन की खुशियों को हम ,
गए काहे को परदेस साजन ?
दिन डूबा तो हँस दिया सूरज ,
चाँद भी मुस्काया ,हँसे सितारे ,
हँसते -हँसते ही तो रात का टूटा है दम ,
गए काहे को परदेस साजन ?
भूल ना पाई मैं तेरी बातें ,
गुजरी जगते -जगते सारी रातें ,
तू ना आया बेदर्दी ,तड़पे कितने हम ?
गए काहे को परदेस साजन ?
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