स्वास्थ्य के लिए
चक्र समय का चले है भैया ,
जानें सब कुछ बाबा ,भैया ,
सब दिन ना हों एक समान ,
रूप बदल कर चले जहां |
मौसम बदले रूप अनेक ,
रुत आए ,रुत जाए एक ,
बदले रहना ,खाना ,पीना ,
बदले घूमना और पहनना |
कभी गगन पर बदरा छाएँ ,
कभी रवि भैया कड़क हो जाएँ ,
कभी तो चाय ,पकौड़े खाएँ ,
कभी शर्बत ,आइसक्रीम हो जाएँ |
आज तो मौसम महामारी का ,
कोरोना की जंग जारी का ,
मास्क ,नमस्ते ,बनाओ दूरी का ,
ऐसे में घर की दाल ,रोटी खाएँ |
बातें करें दोस्तों से जो ,
फोन को ही तो माध्यम बनाएँ ,
मिलने ,मिलाने की तो बातें दोस्तों ,
ये सब अभी तो भूल ही जाएँ |
सारे मौसम बीत ही जाते ,
सारी ऋतुएँ आती जातीं ,
ये मौसम भी बीत जाएगा ,
इस महामारी को एकजुट होकर भगाएँ |
हम सब मिलकर जब शक्तिमान बनेंगे ,
सब नियमों का पालन करेंगे ,
तभी हराएँगे महामारी को ,
तभी दुनिया को स्वस्थ बनाएँ |
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