Tuesday, June 1, 2021

BASANT ME GHIRI BADALI ( JALAD AA )

 

 बसंत में घिरी बदली  (  जलद  आ   ) 

 

एक दर्द ,उभर आया है आज ,

एक तड़प ,उठी है दिल में जाग | 

 

बीती यादें ,

फूल बन के खिलीं बसंत में ,

हरियाली छायी ,

बदली घिर आयी | 

 

पतझड़ भी ,

यादगार बन आया फिर से ,

दर्पण के ,

सम्मुख खड़ी हो निहारा ,

बालों की ,

एक लट सफ़ेद हो आयी | 

 

ये ईनाम ,

है बसंत का ,

जिसने ,

बदली को बुलाया ,

फूलों की ,

खुश्बु नहीं ,दामिनी से डराया| 

 

मैं तो ,

सारी रात ही ,

सिकुड़ी सी ,

सो गई ,सो गई | 

 

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