बसंत में घिरी बदली ( जलद आ )
एक दर्द ,उभर आया है आज ,
एक तड़प ,उठी है दिल में जाग |
बीती यादें ,
फूल बन के खिलीं बसंत में ,
हरियाली छायी ,
बदली घिर आयी |
पतझड़ भी ,
यादगार बन आया फिर से ,
दर्पण के ,
सम्मुख खड़ी हो निहारा ,
बालों की ,
एक लट सफ़ेद हो आयी |
ये ईनाम ,
है बसंत का ,
जिसने ,
बदली को बुलाया ,
फूलों की ,
खुश्बु नहीं ,दामिनी से डराया|
मैं तो ,
सारी रात ही ,
सिकुड़ी सी ,
सो गई ,सो गई |
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