श्रद्धा सुमन ( भाग - 5 )
अंबर में नहीं मिली है कवि को ,
मधुर ,मदिर ,मादक हाला ,
वहाँ नहीं कोई साकी बाला ,
नहीं है सुंदर सा प्याला ,
दिल उसका है मचल रहा ,
पीने को मादक हाला |
अंबर से नीचे को झाँके ,
तो दिखती है मधुशाला ,
वहाँ तो बैठे पीने वाले ,
लेकर मस्ती में प्याला ,
सभी मस्त हो झूम रहे थे ,
पीकर मादक सी हाला |
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