Tuesday, June 29, 2021

THII MAIN ( SMALL POEM )

 

       थी मैं 

 

सुबह बहुत हसीन थी ,

   शाम भी रंगीन थी ,

     चाँदनी रात थी ,

        पर मैं गमगीन थी | 

 

रंग था बिखरा हुआ ,

   हुस्न था निखरा हुआ ,

      सारा समां था महका हुआ ,

         पर मैं उदासीन थी | 

 

हर तरफ था कहकहा ,

   हर तरफ एक सिलसिला , 

       पर एक बदली ग़म की ,

           दिल में मेरे आसीन थी | 


रंगों से दूर थी मैं ,

   खुश्बुओं से दूर थी मैं ,

       जिसका खुशनसीबी नाम है ,

           उस शय से मैं दूर थी | 


No comments:

Post a Comment