जलद आ ( बरसा सावन )
हर साल आया सावन ,भीग गया तन ,
इससे पहले क्यों नहीं ,भीगा मेरा मन ?
हर साल बरखा बरसी ,हर साल छायी बदली ,
इन सबसे पहले ही मैं ,क्यों नहीं मचली ?
बिजली चमकती थी ,बादल गरजते थे ,
क्यों नहीं मेरे नयन ,पहले से सरसते थे ?
इन सबका एक उत्तर ,इन सबका एक कारण ,
इससे पहले नहीं कभी ,मिले मुझे साजन |
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