खो गई
एक आलस भरी शाम ,
अँगड़ाई ले कर सो गई ,
रात की चादर में ,
सारी दुनिया खो गई |
सुबह के आँचल की ,
हवा ने जाकर ,सभी को जगाया ,
दुनिया फिर से ,उषा की ,
लालिमा में खो गई |
देख तेरे रूप को ,
आईना थर्रा उठा ,
पर यहाँ पर मैं तो ,
मीठे सपनों में खो गई |
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