मुक्तक ---4
1 )
याद तेरी सताती है ,
सामने आ जाओ तो ,
नजर झुक जाती है ,
तू ही बता मैं क्या करूँ ?
बरखा ही तो जलाती है |
2 )
ऐ रुकिए जरा सुनिए ,
हमारे दिल की दास्तां ,
ना रुके आप तो फिर देखिए ,
फिर हम भी चल देंगे |
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