होंठ मुस्कुराए
निगाहें उठीं ,और झुक गईं ,
नजरें मिलीं ,और बच गईं |
होंठ हिले ,मगर बंद ही ,
लव्ज खिले ,मगर मंद ही |
मौन छूटा नहीं ,सन्नाटा टूटा नहीं ,
आखिर तुम ही बोले ,चलो होंठ तो खोले |
कहा बोलने को ,पर मैं क्या बोलती ?
दिल में ,बातें बहुत थीं ,पर होंठ ,कैसे खोलती ?
बस एक बार फिर ,पलकें उठीं ,नजरें मिलीं ,
और होंठ मुस्कुराए ,मगर मंद - मंद ही |
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