चंद्रमा (कातिल चंदा ) भाग - 9
आग के सीने में ,दहकते हुए अंगारे हैं ,
सिंदूरी रात के आँचल में ,
चमकते हुए सितारे हैं |
आग के सीने में ,तपन नहीं है ,
रात के आँचल में ,
आज चाँद जो नहीं है |
चाँद छिप गया है ,कातिल बन कर ,
आग सीने में भड़की है ,
ज्वाला बन कर |
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