झुकाए
तेरे प्यार के इंतजार में हम ,
कुछ कह ना सके हँसते ही रहे ,
मिला तू सितमगर तो सामने ,
आकर पलकें झुकाए बैठे रहे |
पलकें उठीं तो सामने था तू ,
झूठा सपना कोई नहीं था ,
तेरी हँसी सूरत पे लेकिन ,
प्यार का कोई बोल नहीं था ,
तेरे एक बोल को सुनने की ,
आस लगाए बैठे रहे |
तेरे लब की मुस्कानों पर ,
कर दीं निछावर सारी खुशियाँ ,
तेरे एक - एक बोल से तो अब ,
खिल गईं मेरे दिल की कलियाँ ,
लब पर थी मुस्कान मगर ,
नज़रों को झुकाए बैठे रहे |
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