जननी हमारी
मातृ भूमि , तो माँ है हमारी ,
जिस पर हमने जन्म लिया ,
जिस की गोद में पले बढ़े ,
पालन - पोषण है जिसने किया ,
उसकी हम संतान हैं ,
करते उसका गुणगान हैं |
मातृ भूमि को करें सलाम ,
उसको शीश झुकाते हम ,
नमन करें नित उसको हम ,
वो तो अपनी माता है ,
आशीर्वाद मिला उसका ,
उसी के कारण हम फूले -फले ,
तभी तो करते हम गुणगान हैं |
प्रकृति तो मातृ भूमि का हिस्सा ,
जिसने जीवन संसाधन हमें दिए ,
हँस के हमको गले लगाया ,
सब साधन भरपूर दिए ,
इसीलिए तो हम सब बंधु ,
करते उसका गुणगान हैं |
माँ है ,जननी है ,जीवन दायिनी हमारी ,
जन्म की पीड़ा सही है जिसने ,
चलना ,दौड़ना सिखाया हाथ पकड़ ,
बोलना ,खाना - पीना सिखाया ,
पढ़ा -लिखा कर खड़ा किया ,
करते हम उसका गुणगान हैं |
जननी जन्म भूमिश्च ,स्वर्गादपि गरीयसि |
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