मनाऊँ कैसे ?
फागुन तुझे मनाऊँ कैसे ?
प्रियतम घर नहीं आए मेरे ,
अपना रूप सजाऊँ कैसे ?
बिंदिया माथे की हँस देगी ,
मेंहदी हाथों की रंग देगी ,
तू ही बता हाथों की ,
चूड़ी को खनकाऊँ कैसे ?
रंग आँख कधुँधला सा है ,
और अधर हैं रंगहीन से ,
जान गई थी साजन रूठे ,
फिर भी नयन क्यूँ हो गए गीले ?
ऐसे विरही मौसम में ,
नयन सुधा बरसाऊँ कैसे ?
तन हैं गीले सबके रंग से ,
मेरे नयन भरे हैं जल से ,
बता दे कोई मुझको इतना ,
अंग पे रंग लगाऊँ कैसे ?
फागुन तुझे मनाऊँ कैसे ?
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