डायरी मेरी सखी ( 03 /05 2021 )
सुनो सखि तुमको आज मैं ,एक पुरानी बात बताऊँ ,
कॉलेज में पढ़ते दिनों की ,एक मजे की बात बताऊँ |
मेरठ शहर में लगता था दोस्तों ,नौचंदी का मेला ,
हमने बचपन से ही दोस्तों ,देखा था वो मेला |
गर्मी शुरू हो रही थी ,शुरू हुआ जब मेला ,
हम तो दोस्तों जा पहुँचे ,देखने को वो मेला |
वहाँ पहुँच कर झूलों में बैठे ,घूमें पूरा मेला ,
घूम -घूम कर पूरा मेला ,सबका पेट भी बोला |
खाने की जब बात सुझाई ,सब ने अपना मुँह खोला ,
हम को कुल्फी पसंद थी दोस्तों ,हमने भी मुँह खोला |
सब तैयार हुए कुल्फी को ,ऑर्डर दिया गया कुल्फी का ,
कुल्फी खाने को दोस्तों ,आया कुल्फी का रेला |
सबने खाना शुरू किया ,स्वाद ले लेकर ,
एक के बाद एक कुल्फी ,आई और खाई लेकर |
सबने ही कुल्फियों का रेला ,अपने उदर उतारा ,
ज्यादा कुल्फी खाने के कारण ,दाँतों ने काँप पुकारा |
अब बीएस करो कहानी कुल्फी ,और ना खा पाऊँगा ,
कुल्फी ने भी उदर में जाकर ,शरीर को कँपकँपाया |
सभी ने बीएस किया क्योंकि दोस्तों ,
सभी को लगी थी सर्दी ,सभी काँप रहे थे ,
सर्दी से भई सर्दी से |
फिर मिलेंगे सखि ,जय हिन्द |
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