Tuesday, November 19, 2024

BHALAA KISKAA ? ( SAMAAJIK )

 

                              भला किसका  ?


चुनावों की सरगर्मियाँ ,जारी हैं दोस्तों ,

राजनैतिक दलों की ,रैलियाँ भी जारी हैं दोस्तों ,

ऐसे में अफवाहें ना फैलें ,यह बात तो ,

असंभव है दोस्तों || 


एक दल के लोग ,दूसरे दल के लोगों पर ,

दोषारोपण करते रहते हैं दोस्तों ,

आम जनता का मत, पाने के लिए ,

विभिन्न हथकंडे ,अपनाते रहते हैं दोस्तों || 


दलों द्वारा जारी ,चुनावी घोषणा -पत्र में ,जीतने पर ,

असंभव सुविधाएँ ,देने का जिक्र करते हैं ,

वो सुविधाएँ ,किस प्रकार देंगे ?

उनके जरिए का ,जिक्र कहीं नहीं होता || 


इसके लिए वो ,करों ( taxes ) की रकम बढ़ाएँगे ,

या व्यापारियों से पैसा लेंगे ,

कर ( tax ) की रकम बढ़ाने पर ,

मध्यम वर्ग ही परेशानी में पड़ता है || 


व्यापारियों से लेने पर ,छोटा व्यापारी तो दे नहीं सकता ,

तो बड़े व्यापारी से पैसा लेने पर ,

उसे सहूलियत भी मिल जाती हैं ,

और वह अपने व्यापार में मंहगाई लाता है ,

हर हालत में मध्यम वर्ग ही पिसता है ,

यही सच है दोस्तों ,

देश का भला करने के नाम पर ,

हर कोई अपना ही ,भला करता है दोस्तों || 


Monday, November 18, 2024

HAQDAAR ( KSHANIKAA )

 

                                 हक़दार 


जिन रिश्तों ,और जिन विचारों का ,

हम आज चुनाव करते हैं ,

वही हमारे भावी जीवन का निर्माण करते हैं || 


सोच - समझ कर तुम ,विचार चुन लो दोस्तों  ,

कुछ स्वयं के अनुभवों से ,

कुछ दूसरों के अनुभवों से ,

तुम सीख ले लो दोस्तों  || 


विचारों के चुनते हुए तुम ,

परिस्थितियों का भी ध्यान रखना दोस्तों ,

हर परिस्थिति में हर विचार ,

काम नहीं कर सकता ,यह बात ,

ध्यान में रखनी बहुत जरूरी है दोस्तों || 


तभी तुम एक ,सुंदर भविष्य पाओगे ,

उसी के साथ ,तुम मुस्कानों के भी ,

हक़दार बन जाओगे ,हक़दार बन जाओगे || 


Sunday, November 17, 2024

SHAKTISHAALII ( KSHANIKAA )

 

                            शक्तिशाली 


बड़ों की नसीहतें हम ,ध्यान से सुनें ,

उनके जीवन के अनुभवों को ,ध्यान से बुनें तो ,

जीवन में हम , सफल हो पाएँगे || 


दूसरों की तारीफों के ,धोखे से बचे रहें तो ,

उनकी झूठी बातों से बचे रहें तो ,

जीवन में हम ,सफल हो पाएँगे || 


जो मूर्ख हो ,उससे दूरी बनाओ ,तो अच्छा ,

ज्ञानी को पास ही बिठाओ ,तो अच्छा ,

अच्छों से ,संबंध बनाए रखो दोस्तों ,

मगर बुरों से ,दूरी बनाए रखो दोस्तों || 


शारीरिक शक्ति वाले इंसान को ,

हम समझते ,शक्तिवान ,शक्तिशाली ,

मगर वह नहीं है ,असली शक्तिशाली ,

जिसमें है असीम सहन शक्ति ,

वही है असली शक्तिशाली ||  


Saturday, November 16, 2024

DASTOOR ( KSHANIKAA )

 

                                दस्तूर 


जरूरत जब तुम्हारी थी ,तो हम खासम - खास थे दोस्तों ,

आज जरूरत हुई ख़त्म ,तो हम खास क्या ? आम भी नहीं रहे ,

यही दस्तूर ज़माने का है ,सच है ना दोस्तों ?? 


हम आज कह रहे हैं ,मगर पहले ,

हम ही भूल गए थे दोस्तों ,समझ जाते जो हम पहले ,

तो आज हम ,आम तो बने ही रहते ,

यही दस्तूर ज़माने का है ,सच है ना दोस्तों ?? 


असंभव वह  नहीं ,जो हम कर नहीं पाते हैं दोस्तों ,

असंभव वह है ,जो हम करना नहीं चाहते हैं दोस्तों ,

यही सब सच है ,बोलो सच है ना दोस्तों ?? 


सभी किए अच्छे  कर्मों को ,कोई याद नहीं रखता है दोस्तों ,

याद किसी को रहती है तो ,हमारे द्वारा  की गई एक ना  ,

यही दस्तूर ज़माने का है ,सच है ना दोस्तों ?? 


Friday, November 15, 2024

VAH SABKAA HAI ( AADHYAATMIK )

 

                              वह सबका है 


नहीं ढूँढो किताबों में ,वह कोई शब्द नहीं है ,

नहीं ढूँढो मंदिरों में ,वह कोई मूर्ति नहीं है ,

नहीं ढूँढो समाजों में ,वह इंसान नहीं है बी,

ढूँढो उसे अपने अंदर ,वह तो जीवन है || 


भर लो अपने अंदर ,वह तो श्वांस है ,

भर लो अपने मन में ,वह एक विश्वास है ,

करो उस पर पूर्ण रूप से ,वह एक भरोसा है ,

थामो उसे कस के ,वह तुम्हारी आशा है || 


एक रिश्ता है उससे तुम्हारा ,तुम अंश हो उसके ,

वह प्रभु है ,ईश्वर है ,रब है ,खुदा है , जीसस है ,

वह सबका है ,और सब में बसा है || 


Wednesday, November 13, 2024

REKHAAEN ( KSHANIKAA )

 

                                   रेखाएँ 


रेखाओं का हर खेल है ,जो मिला हमें ईश्वर से ,

उन्हीं के जाल में फँसे हैं हम,जो मिला हमें ईश्वर से ,

जो मिला हमें है बंधु ,वो है अपनी किस्मत का ,

नहीं छीन सकता है बंधु ,कोई भी ,कभी भी उसको || 


जिंदगी हमारी ये ,देन है ईश्वर की ,सहेजना है हमको ,

इस दुनिया में जिंदगी को ,बिताना है हमको ,

भाग्य की रेखाओं को ,कर्मों की रेखाओं से ,

सोने जैसा चमकाना है हमको || 


वैसे बंधु ये जिंदगी ,एक बख्शीश है ईश्वर की ,

जो मिली है हमें ,सौगात में ,

इस जिंदगी में ,प्रवेश करते समय ,

हम रोते - रोते आते हैं || 


अपने कर्मों की ऐसी रेखाएँ ,खींच दो बंधु ,

कि इस दुनिया को ,अलविदा कहने के समय ,

दूसरे हमें अश्रुपूर्ण ,नयनों से विदा करें ,

हमारे सुंदर कर्मों के लिए ,याद करें हमको || 


Tuesday, November 12, 2024

KIRAAE KA GHAR ( KSHANIKAA )

 

                           किराए का घर 


हमने अपना घर बदला दोस्तों ,किराए का घर ,

जगह अधिक दूर नहीं थी दोस्तों ,आधा किलो मीटर ,

एग्रीमेंट के लिए आधार कार्ड चाहिए ,

टैक्स भरने वाला कार्ड चाहिए ,जानकारी पूरी हो || 


खैर दोस्तों घर मिला ,एग्रीमेंट बना ,

अब जो प्रूफ हमने दिए थे ,उनमें पते का बदलाव हुआ ,

नया गैस कलैक्शन लो ,उसमें भी सब चाहिए || 

 

खैर सारे बदलाव की ,सूचना बैंक में भी देनी थी ,

सभी कुछ पूर्ण करते -करते ,समय बीतता गया ,

धीरे - धीरे सभी कुछ बदल गया ,जिंदगी नए सिरे से चलने लगी || 

 

पड़ोस में जाने पर इतनी फॉर्मेलिटी ,

विदेश जाने पर तो ,फाइलें भर जाती हैं ,

एक ही  जगहऐसी है ,जहाँ जाने पर ,कोई तैयारी नहीं || 


ईश्वर का बुलावा आने पर ,साँस भी रुक जाती है ,

कोई वीसा नहीं ,कोई आधार कार्ड नहीं ,

कोई पासपोर्ट नहीं ,कोई टिकट नहीं || 


कर्मों के अतिरिक्त ,कुछ साथ नहीं जाता ,

शरीर भी यहीं रहता है ,सिर्फ आत्मा ही ,

परमात्मा के पास जाती है दोस्तों ,सिर्फ आत्मा ही || 


FALSAFAA ( KSHANIKAA )

 

                              फलसफा 


भेजा है एक दोस्त ने मुझे ,एक सुंदर विषय ,

मेरी कविता के लिए ,एक तार्किक विषय ,

 मेरी कविता के लिए ,साथ में फोटो एक पिज़्ज़ा का था || 


पिज़्ज़ा में कटे हुए टुकड़ों के ,

विपरीत कोणों को मार्क किया हुआ था ,

जो हर जगह बराबर होते हैं ,

यह रेखागणित की बात है दोस्तों || 


भौतिक विज्ञान  में विपरीत ध्रुव हमेशा ,

एक दूसरे को आकर्षित करते हैं ,

समान ध्रुव एक दूसरे को हमेशा ,

दूर धकेलते हैं ,यानि विकर्षित करते हैं दोस्तों || 


मगर जिंदगी का अलग ही फलसफा है ,

माना जाता है कि ,विचार मिलने वाले व्यक्ति ,

एक दूसरे के अच्छे दोस्त होते हैं ,

अधिकतर यही देखा जाता है || 


मगर इससे अलग भी एक फलसफा है ,

बहुत अलग विचारों वाले  दो व्यक्ति ,

दिल से बहुत अधिक जुड़े होते हैं ,

यह हमारा खुद का अनुभव बोलता है दोस्तों || 


1983 से हमारी सखि ,हमारी प्यारी सखि ,

विचारों में हम उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव जैसे हैं ,

मगर दिलों से भावनाओं से ऐसे जुड़े हैं ,जैसे एक ही हों ,

दुनिया में सबसे अधिक विश्वास ,हम एक -दूजे पर करते हैं ,

 ये है जिंदगी में विपरीत का आकर्षण ,और जिंदगी का फलसफा || 


Monday, November 11, 2024

NEEM ( KSHANIKAA )

 

                                      नीम 


जिंदगी की बगिया में ,नीम का पेड़ होना जरूरी है ,

कड़वाहट होती है ,मगर दवा का काम करती है ,

उसी की पत्तियों और फलों को ,

खाओ और स्वस्थ बन जाओ || 


मत जाओ उसके स्वाद पर ,गुण देखो उसके ,

गुणों की खान है वो ,अलग से पहचान है उसकी ,

स्वच्छता फैलाता हवाओं में ,

तुम भी स्वस्थ बन जाओगे || 


दरियादिली तो देखो उसकी ,सभी उसे अच्छा मानते हैं ,

नीम के सभी गुणों को ,सभी पहचानते हैं ,

मगर फिर भी ,उसके सेवन से ,सभी दूर भागते हैं || 


अगर आप मेरी बातों से ,सहमत हो दोस्तों ,

तो लगाओ ,एक पेड़ नीम का ,

अपनी बगिया में ,एक पेड़ नीम का ,

बचाओ पेड़ को ,सूखने से ,मिट जाने से ,

करो श्रम ,और लगा लो ,एक पेड़ नीम का || 


Saturday, November 9, 2024

PAREEKSHAA ( KSHANIKAA )

 

                                परीक्षा 


जिंदगी जब चाहेगी ,तुम्हारा इम्तिहान लेगी दोस्तों ,

जिंदगी का ना कोई ,सिलेबस बना है दोस्तों ,

जिंदगी की परीक्षा में ,कोई भी प्रश्न पूछा जा सकता है ,

उत्तर तो तुमने ही ,लिखना है दोस्तों || 


जिंदगी की हर परीक्षा ,तुमने ही देनी है दोस्तों ,

हर प्रश्न का उत्तर लिखना ,तुम्हारी ही जिम्मेदारी है ,

तो डूब जाओ दोस्तों ,जिंदगी को समझने  में ,

जिंदगी के रवैये को , पहचानने में दोस्तों || 


हर ओर निगाह रखो ,हर बात को समझो ,

किसी भी बिंदू को , छोड़ ना देना दोस्तों ,

क्या पता ? कहाँ से ? कौन सा ? प्रश्न पूछा जाए ,

इस परीक्षा को तो ,तुमने ही पास करना है दोस्तों || 


Friday, November 8, 2024

JINDGII ( KSHANIKAA )

 

                               जिंदगी 


जिंदगी हम को ,बना दे सीढ़ियाँ ,

जो किसी को ,ऊपर उठा सके ,

खुद वहीं रुकी रहें ,

मगर दूजों को ऊपर उठा सकें || 


खुद वहीं खड़ी रहें ,कोई बात नहीं ,

दूजों के पैरों को चलाती रहें ,जो अच्छा है ,

खुद रुककर ,दूजों को ऊपर चढ़ा सकें || 


हो सके तो जिंदगी ,मंदिर में जड़ दे हमें ,

भक्तों के पैरों को ,चलायमान करके ,

उनको हरिदर्शन ,करने में मदद करें ,

उनके हरिदर्शन ,कराने का जरिया बनें || 


यही हमारी ,इच्छा है जिंदगी ,

कर सको तो ,पूरा कर दो ,

तुम्हें दुआ ,मिलेगी हमारी ,

ता - उम्र स्वस्थ और सुंदर ,बनी रहो तुम || 


Thursday, November 7, 2024

MERAA CHANDRAMAA ( CHANDRAMA )

 

                          मेरा चंद्रमा 


बादलों की ओट से ,निकला जो मेरा चंद्रमा ,

खिड़की से मैंने देखा ,चमका जो मेरा चंद्रमा ,

चाँदनी फैली यहाँ - वहाँ ,मुस्काया जो मेरा चंद्रमा || 


चाँदनी को देखकर ,दामिनी भी गरजी ,

बादलों के बीच से ,बरखा भी बरसी ,

बरखा की बूँदों को देख ,खिलखिलाया मेरा चंद्रमा || 


बादलों ने कहा ,कहाँ पर नजर है तुम्हारी ?

बरखा भी बरसते हुए बोली ,चाँदनी है बहुत प्यारी ,

इन बातों को सुनकर ,शर्माया मेरा चंद्रमा || 


दिन यूँ ही बदलते जाते हैं ,समय नहीं रुकता ,

जिंदगी बीतती जाती है ,वक्त नहीं थमता ,

तभी तो दोस्तों सबसे प्यारा ,दोस्त है मेरा चंद्रमा || 


Tuesday, November 5, 2024

ANGNAA MEIN ( JALAD AA )

 

                                  अँगना में 


नील गगन पर उड़ते जाते ,कारे - कारे बदरा ,

आजा रे ,आजा मेरे ,घर के अंगना में ,

पानी लेकर ,पवन के संग ,

आजा रे ,आजा मेरे ,घर के अँगना में || 


दोस्त मेरे ,तू , मैं और पवन ,

खेलेंगे मेरे अँगना में ,

खूब सारा जल लेकर तू ,

आजा रे ,आजा मेरे ,अँगना में || 


अरे दामिनी को भी लाना ,साथ अपने ,

चारों हम मिल खेलेंगे ,

मनेगी पिकनिक ,हम चारों की ,

सुनो दोस्तों ,मनेगी मेरे घर के अँगना में || 


ऐसी पिकनिक होगी दोस्तों ,

खूब ही नाच ,गाना होगा ,

खाना ,पीना और गप्पों का पिटारा खुलेगा ,

सब खुल जाएगा दोस्तों ,मेरे घर के अँगना में || 


AASHEERVAD ( PREM )

आशीर्वाद 
 
मयंक और सुकृति के अँगना में ,
एक नन्हीं कली खिली, 
सबको है खुशी मिली ,
सबने उसे खुश हो निहारा ,
वाणी ,वाणी कहकर पुकारा ।

सरगम से स्वर उसके ,
घर में हैं गूँजते ,
परिवार वालों के 
दिल में हैं पहुँचते ।

जब कदम बढ़ाएगी,वाणी,
सभी को दौड़ाएगी, वाणी,
पकड़ो-पकड़ो का शोर होगा ,
जो पकड़ेगा ,लिपटेगी उससे वाणी। 

जीवन वाणी का भरे खुशियों से ,
प्यार वाणी को मिले सभी का ,
मुस्कानें बिखरा कर, 
महक फैलाएगी चहुँ ओर वाणी।

प्यार सहित --मिथलेश आज़ाद

 

 

 

 




ANOKHA DEEYAA ( KSHANIKAA )

 

                          अनोखा  दीया 


हमने दिवाली के त्योहार पर ,दीया बनाया दोस्तों ,

ये दीया ना मिट्टी का था , ना  धातु का था ,

ना लकड़ी का दीया था ,ना कागज का था ,

ये दीया तो बंधु ,हमारे दुपट्टों से बना था || 


तीन दुपट्टे लिए हमने ,एक से दीये का बेस बनाया ,

दूजे से दीये का ऊपरी ,हिस्सा बना दिया ,

आकार दीये का हमने ,बना लिया बंधु ,

मगर अभी भी ,कुछ बनाना बाकी था बंधु || 


तीसरे दुपट्टे से हमने बंधु ,बाकी काम किया ,

दीये की बाती बनाकर ,जोड़ी हमने दीये में ,

पूर्ण आकार मिल गया ,हमारे दीये को ,

बन गया ना बंधु ,हमारा सुंदर सा दीया || 


ना रोशनी देने वाला ,ना तेल जलाने वाला ,

ना धुंआ ,ना प्रदूषण फ़ैलाने वाला ,

दीया है वो ,है ना अनोखा दीया ,

जो लगाया हमने खिड़की पर ,अपना अनोखा दीया || 


Sunday, November 3, 2024

LAHAREN SAAGAR KII ( RATNAAKAR )

 

                    लहरें सागर की 


रत्नों का भंडार समेटे ,रत्नाकर आयापास मेरे ,

सखि देखो मेरा भंडार ,आकर यहाँ पास मेरे ,

खुश को जाओगी तुम , देख के विभिन्न रत्न मेरे || 


देखो मेरी लहरों को , जो खेल दिखाती रहती हैं ,

मेरे  दोस्तों  को ये लहरें ,पकड़ हाथ ले आती हैं ,

प्यार से भरी मुस्कानों को ,सब पर ये लुटाती हैं || 


 इनको देख सब खुश होते ,ये भी ख़ुशी दिखाती हैं ,

जीवन की सुंदरता को ये लहरें ,सभी को दिखा जाती हैं ,

 लहरों के  ये सुंदर नृत्य ,सबके मन खुश कर देते हैं  || 

 

आओ सखि खेलो इनसे ,प्यार इनका पा जाओ ,

खुशियों का खजाना ,जो भरा है इन लहरों से ,

यही खजाना तो लहरें ,तुम पर यूँ लुटाती हैं || 

 

ये लहरें हैं हम दोनों की ,दोस्त - दोस्त ,सखि - सखि ,

इस तरह तो हम तीनों ही ,एक दूसरे के दोस्त सखि ,

इसीलिए तो ये लहरें ,हमें देख मुस्काती हैं || 

 

 

 

BAALIKAA VADHU ( STORY )

 

                             बालिका वधु 


इसी तरह चार बरस बीत चले ,

उसकी बेटी भी बड़ी हो चली ,

तब वह माँ का कर्त्तव्य निभाते हुए ,

बेटी का हाथ पकड़ ,विद्यालय की ओर बढ़ चली || 


जिनके घरों में खाना बनाती थी वो ,

उनमें से ही कुछ ने  उसे समझाया ,

मदद की उसकी और उसकी बेटी को ,

विद्यालय में दाखिला दिलवाया || 


बेटी भी समझने लगी थी अब ,

माँ को परेशानियों की हालत में देखा था ,

विद्यालय में ध्यान लगा कर पढ़ने लगी ,

क्योंकि मेहनत ही ,उसके भाग्य का लेखा था || 


बालिका वधु को अब ये ,अहसास हो रहा था ,

माता - पिता की ,सोच के कारण ही तो उसका ,

जीवन इतनी कठिनाईयों से भरा था ,

काश उसके माता - पिता ने उसे ,

बालिका वधु ना बनाकर उसे ,

पढ़ाया - लिखाया होता ,पढ़ाया - लिखाया होता || 

 

                     समाप्त ,कृपया अपनी राय जरूर दें || 


Saturday, November 2, 2024

BAALIKAA VADHU ( STORY )

 

                     बालिका वधु 


दिन -रात की भागम - भाग ,

काम का बढ़ता बोझ उसे ,

थकावट के साथ -साथ ,

कमजोरी भी देता जा रहा था || 


इसी अवस्था में महीना बीतते - बीतते ,

जब उसके हाथ में पगार आई ,

तो बंधुओं  उसकी आँखों में ,

अश्रु के साथ - साथ चमक आई  || 


उसने अपना और अपनी बेटी का ,

खान - पान कुछ दुरुस्त किया ,

शरीर ने भी उसके इस बदलाव को ,

सदयता से स्वीकार किया || 


कार्यों में जुटी वह पस्त नारी ,

बढ़ती रही अपनी कठिन राह पर ,

जीवन भी ले चला उसको ,उन्नति की राह पर || 


Friday, November 1, 2024

BAALIKAA VADHU ( STORY )

 

                        बालिका वधु 


कैसे लड़ती वो ? शरीर था थका ,

और मन था टूटा और बीमार ,

और सहायता कोई नहीं ,कोई मदद नहीं ,

ना पैसे की ,ना काम की ,क्या करती वो ? 


दिन ,रात ,पिसते - पिसते ,एक दिन ,

जाना  उसने टी. वी. पर ,शिक्षा को ,

अब कैसे पाती वो शिक्षा को ? 

कैसे कदम बढ़ाती वो आगे को ? 


उसकी अपनी जिंदगी ,कठिनाईयों में डूबी थी ,

उसकी बेटी की जिम्मेदारी ,उसके सामने थी ,

कैसे करे वह उसकी परवरिश ? 

कैसे बनाए वो अपनी बेटी की ,जिंदगी सुंदर ? 


मगर वह खाना ,बहुत अच्छा बनाती थी ,

यह गुण उसमें कूट - कूट कर भरा था ,

आस पड़ोस में ,उसने खाना बनाने का ,

काम शुरू किया ,और आगे कदम बढ़ाया  ||