दस्तूर
जरूरत जब तुम्हारी थी ,तो हम खासम - खास थे दोस्तों ,
आज जरूरत हुई ख़त्म ,तो हम खास क्या ? आम भी नहीं रहे ,
यही दस्तूर ज़माने का है ,सच है ना दोस्तों ??
हम आज कह रहे हैं ,मगर पहले ,
हम ही भूल गए थे दोस्तों ,समझ जाते जो हम पहले ,
तो आज हम ,आम तो बने ही रहते ,
यही दस्तूर ज़माने का है ,सच है ना दोस्तों ??
असंभव वह नहीं ,जो हम कर नहीं पाते हैं दोस्तों ,
असंभव वह है ,जो हम करना नहीं चाहते हैं दोस्तों ,
यही सब सच है ,बोलो सच है ना दोस्तों ??
सभी किए अच्छे कर्मों को ,कोई याद नहीं रखता है दोस्तों ,
याद किसी को रहती है तो ,हमारे द्वारा की गई एक ना ,
यही दस्तूर ज़माने का है ,सच है ना दोस्तों ??
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