Saturday, November 16, 2024

DASTOOR ( KSHANIKAA )

 

                                दस्तूर 


जरूरत जब तुम्हारी थी ,तो हम खासम - खास थे दोस्तों ,

आज जरूरत हुई ख़त्म ,तो हम खास क्या ? आम भी नहीं रहे ,

यही दस्तूर ज़माने का है ,सच है ना दोस्तों ?? 


हम आज कह रहे हैं ,मगर पहले ,

हम ही भूल गए थे दोस्तों ,समझ जाते जो हम पहले ,

तो आज हम ,आम तो बने ही रहते ,

यही दस्तूर ज़माने का है ,सच है ना दोस्तों ?? 


असंभव वह  नहीं ,जो हम कर नहीं पाते हैं दोस्तों ,

असंभव वह है ,जो हम करना नहीं चाहते हैं दोस्तों ,

यही सब सच है ,बोलो सच है ना दोस्तों ?? 


सभी किए अच्छे  कर्मों को ,कोई याद नहीं रखता है दोस्तों ,

याद किसी को रहती है तो ,हमारे द्वारा  की गई एक ना  ,

यही दस्तूर ज़माने का है ,सच है ना दोस्तों ?? 


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