Saturday, November 2, 2024

BAALIKAA VADHU ( STORY )

 

                     बालिका वधु 


दिन -रात की भागम - भाग ,

काम का बढ़ता बोझ उसे ,

थकावट के साथ -साथ ,

कमजोरी भी देता जा रहा था || 


इसी अवस्था में महीना बीतते - बीतते ,

जब उसके हाथ में पगार आई ,

तो बंधुओं  उसकी आँखों में ,

अश्रु के साथ - साथ चमक आई  || 


उसने अपना और अपनी बेटी का ,

खान - पान कुछ दुरुस्त किया ,

शरीर ने भी उसके इस बदलाव को ,

सदयता से स्वीकार किया || 


कार्यों में जुटी वह पस्त नारी ,

बढ़ती रही अपनी कठिन राह पर ,

जीवन भी ले चला उसको ,उन्नति की राह पर || 


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