आशीर्वाद
मयंक और सुकृति के अँगना में ,
एक नन्हीं कली खिली,
सबको है खुशी मिली ,
सबने उसे खुश हो निहारा ,
वाणी ,वाणी कहकर पुकारा ।
सरगम से स्वर उसके ,
घर में हैं गूँजते ,
परिवार वालों के
दिल में हैं पहुँचते ।
जब कदम बढ़ाएगी,वाणी,
सभी को दौड़ाएगी, वाणी,
पकड़ो-पकड़ो का शोर होगा ,
जो पकड़ेगा ,लिपटेगी उससे वाणी।
जीवन वाणी का भरे खुशियों से ,
प्यार वाणी को मिले सभी का ,
मुस्कानें बिखरा कर,
महक फैलाएगी चहुँ ओर वाणी।
प्यार सहित --मिथलेश आज़ाद
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