बालिका वधु
कैसे लड़ती वो ? शरीर था थका ,
और मन था टूटा और बीमार ,
और सहायता कोई नहीं ,कोई मदद नहीं ,
ना पैसे की ,ना काम की ,क्या करती वो ?
दिन ,रात ,पिसते - पिसते ,एक दिन ,
जाना उसने टी. वी. पर ,शिक्षा को ,
अब कैसे पाती वो शिक्षा को ?
कैसे कदम बढ़ाती वो आगे को ?
उसकी अपनी जिंदगी ,कठिनाईयों में डूबी थी ,
उसकी बेटी की जिम्मेदारी ,उसके सामने थी ,
कैसे करे वह उसकी परवरिश ?
कैसे बनाए वो अपनी बेटी की ,जिंदगी सुंदर ?
मगर वह खाना ,बहुत अच्छा बनाती थी ,
यह गुण उसमें कूट - कूट कर भरा था ,
आस पड़ोस में ,उसने खाना बनाने का ,
काम शुरू किया ,और आगे कदम बढ़ाया ||
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