मेरा चंद्रमा
बादलों की ओट से ,निकला जो मेरा चंद्रमा ,
खिड़की से मैंने देखा ,चमका जो मेरा चंद्रमा ,
चाँदनी फैली यहाँ - वहाँ ,मुस्काया जो मेरा चंद्रमा ||
चाँदनी को देखकर ,दामिनी भी गरजी ,
बादलों के बीच से ,बरखा भी बरसी ,
बरखा की बूँदों को देख ,खिलखिलाया मेरा चंद्रमा ||
बादलों ने कहा ,कहाँ पर नजर है तुम्हारी ?
बरखा भी बरसते हुए बोली ,चाँदनी है बहुत प्यारी ,
इन बातों को सुनकर ,शर्माया मेरा चंद्रमा ||
दिन यूँ ही बदलते जाते हैं ,समय नहीं रुकता ,
जिंदगी बीतती जाती है ,वक्त नहीं थमता ,
तभी तो दोस्तों सबसे प्यारा ,दोस्त है मेरा चंद्रमा ||
No comments:
Post a Comment