जिंदगी
जिंदगी हम को ,बना दे सीढ़ियाँ ,
जो किसी को ,ऊपर उठा सके ,
खुद वहीं रुकी रहें ,
मगर दूजों को ऊपर उठा सकें ||
खुद वहीं खड़ी रहें ,कोई बात नहीं ,
दूजों के पैरों को चलाती रहें ,जो अच्छा है ,
खुद रुककर ,दूजों को ऊपर चढ़ा सकें ||
हो सके तो जिंदगी ,मंदिर में जड़ दे हमें ,
भक्तों के पैरों को ,चलायमान करके ,
उनको हरिदर्शन ,करने में मदद करें ,
उनके हरिदर्शन ,कराने का जरिया बनें ||
यही हमारी ,इच्छा है जिंदगी ,
कर सको तो ,पूरा कर दो ,
तुम्हें दुआ ,मिलेगी हमारी ,
ता - उम्र स्वस्थ और सुंदर ,बनी रहो तुम ||
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